भारतीय श्रमिक कामगार कर्मचारी महासंघ

भारतीय श्रमिक कामगार कर्मचारी महासंघ भारत का सबसे बड़ा केंद्रीय, कामगारो कर्मचारियों व श्रमिक संगठन है। इसकी स्थापना 23 जुलाई 2010 को हुई। भारत के अन्य श्रम संगठनों की तरह यह किसी संगठन के विभाजन के कारण नहीं बना वरन एक विचारधारा के लोगों का सम्मिलित प्रयास का परिणाम था।यह देश का पहला श्रमिक संगठन है, जो राष्ट्रवादी विचारधारा वाले राजनैतिक दल को समर्थन करता है जो सरकार श्रमिको,मजदूरों, कामगारो के हित की बात करें उसके समर्थन के लिए कार्य करता है , श्रमिकों , मजदूरों, कामगारो के लिए, श्रमिकों द्वारा संचालित अपने में स्वतंत्र श्रमिक संगठन है। स्थापना के पश्चात द्रुत गति से उन्नति करते हुए आज यह देश के विभिन्न राज्यों सदस्य संख्या वाला श्रमिक संगठन है। भारतीय श्रमिक कामगार कर्मचारी महासंघ ने अपने स्थापना के 12 वर्ष पूरे होने पर एक करोड़ से अधिक सदस्यता तथा देश का तीसरे से दूसरा केन्द्रीय श्रमिक संगठन बन चुका है । भारतीय श्रमिक कामगार कर्मचारी महासंघ का कार्य भारत के 32 राज्यों तथा अनेको उद्योगों में है। यह 2010 की सदस्यता सत्यापन के आधार पर पहली बार 2021 में देश का नम्बर 3 श्रमिक संगठन बन चुका है । वर्ष 2022 की सदस्यता सत्यापन के अन्तरिम परिणाम की घोषणा के अनुसार भारतीय श्रमिक कामगार कर्मचारी महासंघ 55 लाख से भी अधिक संख्या के साथ अब भी देश का सबसे अधिक सदस्यों वाला श्रमिक, कामगार, कर्मचारी संगठन है।

 

भारतीय श्रमिक कामगार कर्मचारी महासंघ की स्थापना से पहले मजदूर संगठन राजनीतिक पार्टियों से सम्बन्धित थे तथा पार्टी के मजदूर संगठन के रूप में कार्य करते थे। प्रारम्भ में अन्य मजदूर संगठनों का विरोध तथा व्यंग्य भारतीय श्रमिक कामगार कर्मचारी महासंघ के कार्यकर्ताओं को सहना पड़ता था, लेकिन भारतीय मजदूर संघ ने केवल राष्ट्रवादी विचारधारा के राजनीतिक श्रमिक संगठन के रूप में अपना कार्य प्रारंभ किया तथा आज भी उसी सिद्धान्त पर कायम है। कोई भी राजनीतिक व्यक्ति जिसकी विचारधारा राष्ट्रवादी हो वह इसका नेता बन सकता यदि इसका पदाधिकारी वह पार्टी जिसकी विचारधारा राष्ट्रवादी हो उस पार्टी से चुनाव लड़ सकता है तथा इसका कोई भी सदस्य राजनीतिक चुनाव जीतकर भी पदाधिकारी रह सकता है भारतीय श्रमिक कामगार कर्मचारी महासंघ ने अन्य श्रमिक संगठनों से हटकर कई नये नारे तथा विचार श्रमिकों के सामने रखे। “भारत माता की जय” के साथ श्रमिक हमारी जान है एकता हमारी शान है का उद्घोष पहली बार कर्मचारियों व श्रमिक आन्दोलन में हुआ। भारतीय मजदूर संघ के कुछ सूत्र इस प्रकार हैं-

1. देश हित में करेंगे काम, काम के लेंगे पूरे दाम

2. हमारे संगठन . की क्या पहचान, त्याग-तपस्या और बलिदान।

3. नया जमाना आयेगा, कमाने वाला खिलायेगा।

4 राष्ट्र का औद्योगिकीकरण, उद्योगों का श्रमिकीकरण, श्रमिकों का राष्ट्रीयकरण
17 सितम्बर विश्वकर्मा जयन्ती को राष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में मनाना तय किया गया।

भारतीय श्रमिक कामगार कर्मचारी महासंघ

1) 2010 से निरंतर सरकारी व अर्धसरकारी कर्मचारियों, कामगारों सहित सभी श्रमिकों के लिए मांग करने वाला प्रथम श्रमिक संगठन।

2)2015 में राष्ट्रवादी विचारधारा रखने वाले राजनीतिक दल को समर्थन की घोषणा करने वाला प्रथम सामाजिक संगठन।

3) 2017 में सभी कामगारों, कर्मचारियों, श्रमिकों को एक मंच पर खड़ा करने वाला प्रथम संगठन।

2021 देश का सबसे बड़ा श्रमिक कामगार कर्मचारी करोना काल जब देश का कोई भी संगठन मददगार पर नहीं था देश के विभिन्न राज्यों में जा जाकर मजदूरों कामगारों का चिंतन करना अथवा शिविर लगाकर स्वास्थ्य की चिंता करके उनके राज्यों तक पहुंचाने में विभिन्न कार्यों में सहभागिता किया